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झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के हार के कारण

झारखंड विधानसभा चुनाव में 25 पर सिमटी भाजपा के हार के पांच  बड़े कारण रहे जातिगत समीकरण 2014 में बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान किए बिना चुनाव लड़ा और 37 सीटें जीतीं। इसके बाद रघुवर दास झारखंड के गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने। उस झारखंड में जहां 26।3  फीसदी आबादी आदिवासियों की है और 81  में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं।आदिवासी समुदाय से आने वाले अर्जुन मुंडा को इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की मांग उठी थी, जिसे बीजेपी हाईकमान ने नजरअंदाज कर दिया था।जिससे भाजपा को आदिवासी समुदाय की काफी नाराजगी झेलनी पड़ी । सहयोगियों को नजरअंदाज करना पड़ा महंगा! वर्ष 2000 और 2014 में भाजपा और आजसू  ने मिलकर चुनाव लड़ा. लेकिन इस बार बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. इन चुनावों में आजसू ने 53  सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, केंद्र में एनडीए की सहयोगी पार्टी एलजेपी ने भी करीब 50 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा. इससे वोटों का बंटवारा हुआ और कई सीटों पर आजसू ने बीजेपी के वोट काटे. सरयू राय की बगावत ! “सरयू” की धवल-धार में “रघुबर” डूब गए सरयू राय की गिनती ईमानदार नेताओ